“फतेहपुर सीकरी से तुज़ुक-ए-जहाँगीरी तक: अकबर की मन्नत से जन्मे बादशाह जहाँगीर की कहानी”

31 अगस्त 1569 ई. को, फतेहपुर सीकरी में नूरुद्दीन मोहम्मद सलीम जहांगीर की पैदाइश हुई थी। सलीम की पैदाइश शहंशाह अकबर की लंबी-चौड़ी मिन्नतों का नतीजा थी। 27 अक्टूबर 1605 को अकबर की मौत के बाद सलीम चौथे मुगल बादशाह बने थे।

27 साल की उम्र तक अकबर के जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी थी कि उनके कोई बेटा नहीं था। 1564 में ज़रूर उनके दो जुड़वा बेटे पैदा हुए थे हसन और हुसैन, लेकिन वो सिर्फ़ एक माह तक ही जिंदा रह सके।

अकबर ने अपने पसंदीदा सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर मन्नत मांगी कि अगर आप मुझे एक बेटा दे दें तो मैं आगरा से अजमेर पैदल चल कर आपकी दरगाह पर सिर झुकाउंगा।

आख़िर खुदा ने शहंशाह की मुराद सुन ली। उनके दरबारियों ने उन्हें ख़बर दी कि आगरा के पास ही एक पहाड़ी पर मोइनुद्दीन चिश्ती के शागिर्द और पीर सलीम चिश्ती रहते हैं, जो आपकी मुराद पूरी कर सकते हैं।

“दुनिया में कोई ऐसी चीज़ नहीं थी जो अकबर के पास नहीं थी। उनके पास अगर किसी चीज की कमी थी तो वो औलाद की थी। वो इस आस में सलीम चिश्ती के पास जाने लगे। एक दिन अकबर ने सीधे उनसे पूछ ही लिया, मेरे कितने बेटे पैदा होंगे? उन्होंने जवाब दिया, ख़ुदा तुमको तीन बेटे देगा। और ऐसा ही हुआ। पहले सलीम की पैदाइश हुई फिर उसके बाद अकबर के दो और बेटे हुए।

बाबर के बाद अपनी आत्मकथा लिखने वाले जहांगीर पहले मुग़ल बादशाह थे। तुजुक-ए-जहांगीरी में उन्होंने अपनी ज़िन्दगी से मुताल्लिक कई खुलासे किये हैं।

जहांगीर एक रंगीन मिजाज शख्सियत के मालिक थे तुजुक-ए-जहांगीरी में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है की वो दिन में शराब के 20 प्याले पीते थे, 14 दिन में और 6 रात में। बाद में उसे घटा कर वो एक दिन में 6 प्याले पर ले आए थे। जब वो 18 साल के थे तो एक बार वो शिकार पर गये हुए थे। उनको थकान महसूस हुई थी. किसी ने कहा कि आप थोड़ी शराब पीजिए, आपकी थकान चली जाएगी। उन्होंने पी और उन्हें वो बहुत पसंद आई। फिर तो वो रोज़ शराब पीने लगे. जहाँगीर के दोनों भाइयों को भी शराब की लत लग गई और उनकी मौत शराब की वजह से ही हुई।”

“शराब तो बादशाह बाबर भी पीते थे। अकबर भी कभी कभी शराब चख लिया करते थे। लेकिन शाहजहाँ ने कभी शराब को हाथ नहीं लगाया। बल्कि जहाँगीर को इस बात का अफ़सोस रहता था कि उनका बेटा 24 साल का हो गया है और उसने आज तक शराब का एक घूंट तक नहीं लिया है। ये कैसे हो सकता है?”

जवाहरलाल नेहरू की किताब ‘डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया’ के मुताबिक़ जहांगीर और शाहजहां अकबर के दर्जे के हुक्मरान नहीं थे। पर वे दोनों इसलिए हुकूमत कर पाए क्योंकि उन्होंने अकबर के कायमकर्दा शाही और सामाजिक ढांचे को बरकरार रखा था। नेहरू के मुताबिक़ अकबर ने इस ढांचे को इतनी खूबसूरती से खड़ा किया था कि उनके जाने के 100 साल बाद तक हिंदुस्तान को कोई खास परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा।